सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह तीन महीने के भीतर पैक्ड फूड पर चेतावनी वाली लेबलिंग को लेकर नए नियम बनाए।
कोर्ट ने ये आदेश एक PIL पर सुनवाई के दौरान दिया। इसमें मांग की गई थी कि हर पैक्ड खाने की चीज पर फ्रंट पर साफ चेतावनी दी जाए। इससे लोग यह जान सकें कि उस चीज में कितना शुगर, नमक या हानिकारक फैट है।
केंद्र ने कहा- एक्सपर्ट कमेटी सुझावों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेगी
केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि 14 हजार से ज्यादा सुझाव और रिपोर्ट्स इस मुद्दे पर आ चुकी हैं। इसके लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई है जो इन सुझावों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेगी।
कोर्ट ने आदेश दिया कि यह समिति जल्दी से जल्दी रिपोर्ट तैयार करे ताकि उसी आधार पर FSSAI लेबलिंग नियमों में संशोधन किया जा सके।
लेबल, इंग्रिडिएंट्स और अन्य जानकारी ध्यान से पढ़ना चाहिए
NIN ने कहा, 'नेचुरल' शब्द का अक्सर इस्तेमाल किया जाता है, भले ही पैक्ड फूड में केवल एक या दो नेचुरल चीजें शामिल हों। ऐसे में ये ये भ्रामक हो सकता है इसलिए लोगों को सामग्री और अन्य जानकारी को ध्यान से पढ़ना जरूरी है। बेहतर सेहत के लिए पैक्ड फूड के लेबल पर किए गए दावों की अच्छे से जांच करें।
ICMR ने चेताया था- पैकेज्ड फूड पर लगे लेबल के दावे भ्रामक हो सकते हैं
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR के तहत हैदराबाद बेस्ड नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) ने भारतीयों के लिए डाइटरी गाइडलाइन जारी की है। NIN ने कहा, 'फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के सख्त मानदंड हैं, लेकिन लेबल पर दी गई जानकारी भ्रामक हो सकती है।'
कुछ उदाहरण देते हुए NIN ने कहा कि किसी फूड प्रोडक्ट को 'नेचुरल' कहा जा सकता है, यदि इसमें एडेड कलर्स, फ्लेवर्स और आर्टिफिशियल सब्सटेंसेस नहीं मिलाए गए हैं और यह मिनिमल प्रोसेसिंग से गुजरता है।