बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर डॉ. मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति नहीं बन पाने के कारण काम करना मुश्किल हो रहा है। BBC बांग्ला सर्विस ने गुरुवार देर रात छात्र नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के प्रमुख एनहिद इस्लाम के हवाले से यह जानकारी दी।
इस्लाम ने BBC बांग्ला को बताया, 'हम आज सुबह से ही सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबर सुन रहे हैं। इसलिए मैं इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए उनसे मिलने गया था। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में सोच रहे हैं। यूनुस ने आशंका जताई है कि जब तक राजनीतिक दल सहमति नहीं बना लेते, वह काम नहीं कर पाएंगे।'
बांग्लादेश में बीते दो दिनों से अंतरिम सरकार और सेना के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है। आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमा ने गुरुवार को सैन्य मुख्यालय में अपने अधिकारियों को संबोधित करते हुए स्पष्ट कहा कि आम चुनाव इस साल दिसंबर से आगे नहीं टलने चाहिए।
आर्मी चीफ ने चेतावनी दी कि यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के पास संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर निर्णय लेने का कोई नैतिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है। रखाइन कॉरिडोर के मुद्दे पर सेना मार्च से ही कह रही है कि हमारी सहमति के बिना इसे बनाना अवैध है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर डॉ. मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति नहीं बन पाने के कारण काम करना मुश्किल हो रहा है। BBC बांग्ला सर्विस ने गुरुवार देर रात छात्र नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के प्रमुख एनहिद इस्लाम के हवाले से यह जानकारी दी।
इस्लाम ने BBC बांग्ला को बताया, 'हम आज सुबह से ही सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबर सुन रहे हैं। इसलिए मैं इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए उनसे मिलने गया था। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में सोच रहे हैं। यूनुस ने आशंका जताई है कि जब तक राजनीतिक दल सहमति नहीं बना लेते, वह काम नहीं कर पाएंगे।'
बांग्लादेश में बीते दो दिनों से अंतरिम सरकार और सेना के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है। आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमा ने गुरुवार को सैन्य मुख्यालय में अपने अधिकारियों को संबोधित करते हुए स्पष्ट कहा कि आम चुनाव इस साल दिसंबर से आगे नहीं टलने चाहिए।
आर्मी चीफ ने चेतावनी दी कि यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के पास संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर निर्णय लेने का कोई नैतिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है। रखाइन कॉरिडोर के मुद्दे पर सेना मार्च से ही कह रही है कि हमारी सहमति के बिना इसे बनाना अवैध है।
म्यांमार सीमा पर गलियारा बनाने को लेकर सरकार-सेना में टकराव
दरअसल, बांग्लादेश में म्यांमार सीमा पर रखाइन जिले में मानवीय गलियारा बनाने की कथित योजना को लेकर सेना और सरकार आमने-सामने है। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने घोषणा की थी कि अंतरिम सरकार ने अमेरिका की तरफ से प्रस्तावित रखाइन कॉरिडोर पर सहमति व्यक्त कर दी है।
जब यह बात सेना को पता चली तो उनकी तरफ से नाराजगी जताई गई। आर्मी चीफ वकार ने बुधवार को इसे खूनी कॉरिडोर बताया और अंतरिम सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि बांग्लादेश की सेना कभी भी किसी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगी जो संप्रभुता के लिए हानिकारक हो। न ही किसी को ऐसा करने की इजाजत दी जाएगी।
इसके बाद यूनुस सरकार ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी देश के साथ म्यांमार सीमा पर रखाइन कॉरिडोर को लेकर समझौता नहीं किया है।
खालिदा जिया ने भी दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने भी यूनुस पर दबाव बढ़ाते हुए दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार जल्द चुनावी रोडमैप तैयार कर इसकी सार्वजनिक घोषणा नहीं करती, तो उनका सरकार के साथ सहयोग जारी रखना मुश्किल हो जाएगा।
अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने अब तक चुनावों को जनवरी-जून 2026 के बीच कराने की बात कही है। सेना इसे दिसंबर 2025 से आगे खींचने को लेकर नाराज है। इसके चलते आगे टकराव तेज हो सकते हैं।यूनुस के अलावा कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी भी चुनाव टालने के पक्ष में हैं।
सूत्रों से संकेत मिल रहे हैं कि सरकार को पांच साल तक बने रहने की उम्मीद थी, जिसे सेना-छात्रों के दबाव ने गंभीर संकट में डाल दिया है। गृह मंत्रालय के सलाहकार भी कह चुके हैं कि जनता चाहती है कि यह सरकार पांच साल तक बनी रहे।सैन्य अधिकारियों ने यहां तक कहा कि अगर सरकार जिद पर अड़ी रही, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं।